विश्व के 167 देशों में मनाए जाने वाले मातृ-पितृ पूजन दिवस का आयोजन इस वर्ष भी धूमधाम से हुआ। इस उत्सव ने जिले सहित पूरे देश में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई।
500 से अधिक बच्चे इस दिवस में भाग लिए। उन्होंने माता-पिता और गुरुदेव के साथ वैदिक मंत्रों के साथ पूजा की। इस समर्पित भाव से माता-पिता की आंखों में आंसू आ गए।
मातृ-पितृ पूजन के सामूहिक दृश्य से सभी उपस्थित लोग आनंदित और प्रेरित हुए। इस सामाजिक उत्सव ने संगठनों के बीच सामरस्य और आत्मीयता को बढ़ाया।
इस अवसर पर बापूजी ने सभी धर्मों के लोगों के सुख की कामना की और परंपरा और संस्कृति के महत्व को साझा किया।
इस सामाजिक उत्सव ने परिवार के महत्व को सार्वजनिक रूप से उजागर किया और समाज में संस्कृति और परंपरा के महत्व को पुनः स्थापित किया।