कवर्धा:- समाचार आज लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है। अखबार और टीवी जितनी तेजी से लोगों के बीच लोकप्रिय हुए हैं, उतनी ही तेजी से सोशल मीडिया भी हर हाथ में पहुंच गया है। आजकल हर व्यक्ति के पास मोबाइल है और उस मोबाइल में व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स हैं। हर मोबाइल धारक इन प्लेटफॉर्म्स का भरपूर उपयोग कर रहा है, जिनमें से एक प्रमुख उपयोग समाचार प्राप्त करने का भी है। आज सभी समाचार संपादक इन प्लेटफार्म्स का अच्छा उपयोग करते हुए न्यूज़ नेटवर्क संचालन कर रहे हैं।
हालांकि, न्यूज नेटवर्क पोर्टल्स में भी आईटी एक्ट लागू होता है, जैसे कि आर.एन.आई. का होता है। यदि कोई भी व्यक्ति आईटी एक्ट कानून का उल्लंघन करते पाया जाता है, तो आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कार्यवाही की जा सकती है, जिसमें 3 साल की कारावास और अर्थ दंड का प्रावधान है।
ज्ञात हो कि 26 जून 2024 को मिलन यादव द्वारा इच्छा मृत्यु और यादव समाज द्वारा प्रताड़ित किए जाने के आरोप पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया था। इस मामले की खबर 'न्यूज़ प्लस 36' ने प्रकाशित की थी। उक्त घटना को संज्ञान में लेकर जिला प्रशासन ने कार्यवाही की और मिलन यादव के आवेदन पर विचार कर अनुविभागीय अधिकारी कवर्धा द्वारा स्थगन आदेश जारी किया गया।
लेकिन, 'न्यूज़ प्लस 36' की इस समाचार को 'UNA न्यूज नेटवर्क' के संपादक सौरभ नामदेव ने फेक बताते हुए आईटी एक्ट का उल्लंघन किया। यह निंदनीय और आपत्तिजनक कृत्य है, जिससे पत्रकारों में काफी नाराजगी है। इसे देखते हुए जिला प्रेस क्लब में आवश्यक बैठक बुलाई गई, जिसमें पत्रकारों ने किसी भी न्यूज चैनल या पोर्टल की खबर को फेक बताना अपराध बताया और इसके लिए दंडित किए जाने की मांग की।
'न्यूज़ प्लस 36' के संपादक डॉ. एम.डी. मिर्जा की छवि को नुकसान पहुंचाने के आरोप में सौरभ नामदेव के खिलाफ कोतवाली कवर्धा में लिखित आवेदन देकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इस आवेदन के समर्थन में श्रमजीवी पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष अमिताभ नामदेव, जिला प्रेस क्लब के जिला अध्यक्ष प्रकाश वर्मा व अन्य पदाधिकारी और सदस्य बड़ी संख्या में थाना पहुंचे। उन्होंने थाना प्रभारी को ज्ञापन सौंपते हुए सौरभ नामदेव के खिलाफ शीघ्र अपराध दर्ज कर उचित कार्यवाही की मांग की।
इस घटना ने पत्रकारिता के मानकों और आईटी एक्ट के अनुपालन पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करता है और क्या यह अन्य पत्रकारों के लिए एक नजीर साबित होगा।