बिलासपुर:- बिलासपुर जिसे एक समय देश के सबसे शांत शहरों में गिना जाता था, आज अपराधों की चपेट में है। यहां लूट, हत्या, बलवा और मारपीट जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं। अपराधियों का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वे खुलेआम वारदातें कर पुलिस को चुनौती देते नजर आते हैं। शहर की इस बदलती तस्वीर ने यहां की जनता को चिंता में डाल दिया है।
बिलासपुर पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। आये दिन पुलिस थानों में कर्मचारियों और थाना प्रभारियों की मिलीभगत की खबरें आम हो चुकी हैं। जनता का मानना है कि पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को इस मामले में गंभीरता से कदम उठाने की आवश्यकता है। लापरवाह पुलिसकर्मियों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग तेज हो रही है।
अपराध पर नियंत्रण के लिए ठोस रणनीति की जरूरत
शहर में बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को हर माह नियमित बैठकें कर ठोस रणनीति बनानी चाहिए। इसके लिए थाना प्रभारियों को 24*7 अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहने और अपराधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए जाने चाहिए।
पुलिस पेट्रोलिंग और गश्त की आवश्यकता
पुलिस की गश्त और पेट्रोलिंग को और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। थाना प्रभारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके क्षेत्र में नियमित रूप से गश्त हो। अशांति फैलाने वाले तत्वों को किसी भी कीमत पर बख्शा न जाए और ऐसे अपराधियों की जमानत पर सख्त पाबंदी हो।
खुफिया तंत्र को मजबूत करने की पहल
शहर में अपराध की रोकथाम के लिए खुफिया तंत्र को मजबूत करना भी जरूरी है। इसके लिए समाज के सक्रिय और जिम्मेदार व्यक्तियों को "पुलिस मितान" के रूप में जोड़ा जा सकता है, जो पुलिस को अपने क्षेत्र में होने वाले अपराधों की जानकारी दें।
सार्वजनिक संपर्क में सुधार
शहर के हर थाने के संपर्क नंबर सार्वजनिक रूप से जारी किए जाने चाहिए, ताकि जनता आसानी से अपराध दर्ज करा सके। इससे पुलिस और जनता के बीच बेहतर तालमेल बनेगा और अपराधों पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी।
बिलासपुर पुलिस को अपनी छवि सुधारने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर इन उपायों को सही तरीके से लागू किया जाए, तो न्यायधानी फिर से शांत और अपराधमुक्त शहर के रूप में अपनी पहचान बना सकती है।
I