संघ की प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद जायसवाल और जिला अध्यक्ष मोहन चंद्राकर ने जानकारी दी कि प्रांतीय संघ के आह्वान पर यह अनिश्चितकालीन हड़ताल की गई है। उनकी दो प्रमुख मांगें हैं - स्थाईकरण एवं वेतन वृद्धि। इन मांगों को लेकर संघ के सभी 108 कंप्यूटर ऑपरेटरों ने जिले की सहकारी समितियों में अपना कामकाज बंद कर दिया है।
मोहन चंद्राकर ने बताया कि संघ लंबे समय से सरकार के समक्ष अपनी मांगों को प्रस्तुत कर रहा है, लेकिन अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है। उनका कहना है कि समर्थन मूल्य धान खरीदी और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में कंप्यूटर ऑपरेटरों का योगदान अहम है, लेकिन उनकी सेवाओं को स्थायीत्व और उचित वेतनमान नहीं दिया जा रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, हड़ताल अनिश्चितकाल तक जारी रहेगी।
हड़ताल के कारण जिले भर के सभी सहकारी समितियों का कार्य पूरी तरह बंद हो चुका है। खासकर, धान खरीदी पंजीयन का काम प्रभावित हो रहा है, जिसके चलते किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। समय पर पंजीयन न होने से किसानों को समर्थन मूल्य पर धान बेचने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, ऋण वितरण और खाद-बीज वितरण जैसे कार्यों के बाधित होने से भी किसानों की खेती की प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ रहा है।
संघ ने शासन को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो यह हड़ताल और भी व्यापक रूप ले सकती है, जिससे पूरे राज्य में धान खरीदी और उससे जुड़े अन्य कार्य प्रभावित होंगे। संघ के सदस्य अपने आंदोलन को मजबूती से जारी रखने के लिए संकल्पबद्ध हैं और अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
कृषक वर्ग और अन्य संबद्ध हितधारकों ने भी इस हड़ताल को लेकर चिंता जाहिर की है। किसानों का कहना है कि यदि हड़ताल लंबे समय तक जारी रही तो इससे उनके धान बेचने के अवसर और कृषि कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
सरकार की तरफ से अभी तक इस मसले पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि जल्द ही कंप्यूटर ऑपरेटर संघ के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर इस मुद्दे का समाधान निकालने की कोशिश की जाएगी।