कवर्धा:- आज, 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि का पवित्र पर्व आरंभ हो रहा है, जो 12 अक्टूबर तक चलेगा। इस विशेष नवरात्रि के दौरान पंचमी, सप्तमी, अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व माना जाता है। भारतीय संस्कृति और पौराणिक कथाओं में यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी रखता है।
श्रीरामचंद्र जी की विजय का प्रतीक शारदीय नवरात्रि का व्रत भगवान श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए किया था। श्रीराम ने माँ दुर्गा की पूर्ण विधि-विधान से पूजा-अर्चना की, जिससे उन्हें महाशक्ति का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। यह कथा हमें यह सिखाती है कि संकल्प, शक्ति और भक्ति के साथ किसी भी संकट का सामना किया जा सकता है।
महाभारत में पांडवों की विजय यात्रा महाभारत काल में भी शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्त्व रहा है। पांडवों ने श्रीकृष्ण के परामर्श पर इस पावन बेला में माँ दुर्गा की उपासना की थी, जिससे उन्हें अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त हुई। तभी से यह पर्व विजय, शक्ति और शांति की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।
बंगाल में दुर्गा पूजा का भव्य महोत्सव भारत के बंगाल प्रांत में शारदीय नवरात्रि का महोत्सव दुर्गापूजा के रूप में मनाया जाता है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन बंगाल में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। इस दौरान लोग माँ दुर्गा की उपासना करके अपने जीवन को खुशहाल और सुरक्षित बनाने की कामना करते हैं।
नवरात्रि का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक पक्ष नवरात्रि का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत आयु, आरोग्य, और धन-धान्य की प्राप्ति कराता है। इसके अलावा, नवरात्रि के नौ दिनों में दैवीय तत्त्व अन्य दिनों की तुलना में 1000 गुणा अधिक सक्रिय रहते हैं। इन दिनों ब्रह्मांड में दैवीय तरंगों की शक्ति धीरे-धीरे बढ़ती है और अनिष्ट शक्तियों का नाश होता है, जिससे पूरे ब्रह्मांड की शुद्धि होती है।
प्रथम तीन दिनों में देवी की सगुण और निर्गुण शक्ति एक साथ सक्रिय रहती है, जबकि अंतिम तीन दिनों में निर्गुण तत्त्व की प्रधानता हो जाती है। यह कालावधि देवताओं और भक्तों के लिए अत्यधिक पवित्र मानी जाती है।
देवी के अभय आशीर्वाद का प्रतीक पौराणिक कथाओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा ने महाबलशाली दैत्यों का वध कर पूरे संसार को भयमुक्त किया था। इसके बाद, देवताओं ने देवी की स्तुति की, जिसके पश्चात माँ दुर्गा ने सभी को अभय आशीर्वाद दिया और वचन दिया कि, "जब भी संसार में दैत्यों और अनिष्ट शक्तियों का प्रकोप बढ़ेगा, तब-तब मैं अवतरित होकर उनका नाश करूंगी।"
नवरात्रि: एक आस्था, एक विश्वास शारदीय नवरात्रि न केवल धार्मिक परंपराओं का पालन करने का अवसर है, बल्कि यह हमारे भीतर छिपी शक्ति और संकल्प को जागृत करने का समय भी है। माँ दुर्गा की उपासना करने से व्यक्ति अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकता है और विजय की ओर अग्रसर हो सकता है।
यह नवरात्रि हर एक भक्त के लिए नई ऊर्जा, आत्मविश्वास, और सफलता की प्राप्ति का संदेश लेकर आई है।