कवर्धा:- देश में प्लास्टिक बैगों का उपयोग बना गंभीर समस्याप्लास्टिक बैगों का उपयोग दिन-प्रतिदिन प्रदेश में गंभीर समस्या का रूप लेता जा रहा है। शहर के गली-मोहल्लों, सब्जी बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्लास्टिक बैगों में कचरा भरकर खुले में फेंक दिया जाता है। यह न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि गायों और अन्य जानवरों की मृत्यु का कारण भी बन रहा है।
राज्य सरकार को उठाने होंगे सख्त कदम
राज्य सरकार को प्लास्टिक बैगों के विक्रय और भंडारण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए। इसके स्थान पर कपड़े या जूट से बने थैलों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। सरकार को स्व-सहायता समूहों को थैलों के निर्माण और विक्रय की अनुमति देनी चाहिए। यह कदम न केवल पर्यावरण को सुरक्षित करेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
जिला मुख्यालयों में फैक्ट्री और जागरूकता अभियान की जरूरत
हर जिला मुख्यालय में थैलों के निर्माण के लिए फैक्ट्रियां स्थापित की जानी चाहिए। नगर निगम को सभी बाजारों और दुकानों में अभियान चलाकर प्लास्टिक बैगों को जब्त करना चाहिए और थैलों को वितरित करना चाहिए। यह अभियान दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को प्लास्टिक के खतरों के प्रति जागरूक करेगा।
कड़ी सजा और जुर्माने की व्यवस्था हो
प्लास्टिक बैग का उपयोग या भंडारण करते हुए पाए जाने पर संबंधित दुकानदारों और विक्रेताओं पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। पहली बार पकड़े जाने पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए और दोबारा गलती करने पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण में आम जनता की भूमिका
सरकार के प्रयासों के साथ-साथ आम जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। प्लास्टिक बैगों का उपयोग बंद करना और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाना हर नागरिक का कर्तव्य है।
प्लास्टिक बैगों का बढ़ता उपयोग एक गंभीर पर्यावरणीय संकट है, जिसे हल करने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। थैलों के निर्माण को प्रोत्साहित करने, जागरूकता फैलाने और प्लास्टिक के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से ही हम इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। राज्य सरकार और नागरिकों को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण मिल सके।