कवर्धा,18अगस्त 2024: आज 19 अगस्ता को मनाया जाएगा रक्षा बंधन इस साल भी लगा भद्रा की साया है इस साल राखी बाधने का सुभ मुहूर्त 1:30 मिनट से लेकर रात्रि 9:07 बजे तक सुभ मुहूर्त सही है रक्षा बंधन, हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और पारंपरिक त्योहार, दक्षिण एशिया के साथ-साथ दुनिया के अन्य हिस्सों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र व सुरक्षा की कामना करती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ है 'रक्षा का बंधन,' और यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के श्रावण मास के अंतिम दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त महीने में पड़ता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो एक ताबीज या धागा होता है, और प्रतीकात्मक रूप से उनके जीवन की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं।
यह त्यौहार केवल भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं है। कई स्थानों पर, जहां पारंपरिक रूप से बहन-भाई का रिश्ता नहीं है, वहां राखी बांधने की प्रथा ने स्वैच्छिक रिश्तेदारी संबंधों की एक नई परंपरा को जन्म दिया है, जो जाति, वर्ग और धर्म की सीमाओं को भी पार कर जाता है। इस प्रकार, रक्षा बंधन भाई-बहन के रिश्ते से परे जाकर समाज में सौहार्द और भाईचारे का संदेश देता है।
ग्रामीण और शहरी परिदृश्य में रक्षा बंधन का स्वरूप
ग्रामीण उत्तर भारत में, जहां बहिर्विवाह (गांव से बाहर शादी करने की प्रथा) का प्रचलन है, इस त्योहार का एक अलग ही महत्व है। इस प्रथा के अनुसार, विवाहित महिलाएं हर साल रक्षा बंधन पर अपने मायके (पैतृक घर) जाती हैं। उनका भाई उन्हें लेने के लिए उनके ससुराल आता है, और इस अवसर पर बहन अपने भाई के हाथ से राखी बंधवाकर अपने प्रेम और सुरक्षा की भावना को मजबूत करती है। यह त्यौहार न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है बल्कि विवाहित महिलाओं के लिए मायके से जुड़ने का एक अवसर भी प्रदान करता है।
दूसरी ओर, शहरी भारत में जहां परिवार छोटे होते जा रहे हैं, रक्षा बंधन का स्वरूप थोड़ा बदल गया है। यह त्योहार अब अधिक प्रतीकात्मक हो गया है, लेकिन इसकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। टेक्नोलॉजी और प्रवासन के कारण, इस त्योहार से जुड़े अनुष्ठान अब अपने पारंपरिक क्षेत्रों से बाहर फैल गए हैं।
समाज में रक्षा बंधन का प्रभाव
रक्षा बंधन के महत्व को बढ़ाने में भारतीय सिनेमा, सोशल मीडिया और राजनीतिक हिंदू धर्म ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह त्योहार आज केवल एक पारिवारिक उत्सव तक सीमित नहीं है बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भाईचारे और सौहार्द्र का संदेश भी फैलाता है।
रक्षा बंधन के दिन, कई लोग स्वैच्छिक रिश्तेदारी के तहत राखी बांधते हैं। यह प्रथा केवल परिवार के भीतर ही नहीं, बल्कि समाज के अन्य वर्गों में भी प्रचलित हो चुकी है। सरकारी अधिकारी, पुलिसकर्मी, शिक्षक और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति भी राखी बंधवाते हैं, जो समाज में एकजुटता और सुरक्षा के महत्व को दर्शाता है।
रक्षा बंधन के इस पर्व ने हिंदू समाज में एकता, प्रेम और सुरक्षा के भाव को मजबूती से स्थापित किया है। यह त्योहार आज के समय में और भी महत्वपूर्ण हो गया है, जब समाज में एकता और भाईचारे की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है।
रक्षा बंधन न केवल भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि यह समाज में सुरक्षा, प्रेम और एकता का संदेश भी फैलाता है। इस त्योहार की परंपराएं और महत्व समय के साथ बदल सकते हैं, लेकिन इसका संदेश हमेशा कायम रहेगा: प्रेम, सुरक्षा और भाईचारा।
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