साहू ने बताया कि तीज त्योहारों का समय चल रहा है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष महत्व रखता है, लेकिन मनरेगा मजदूरों के पास अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कोई साधन नहीं है। उनकी सारी मेहनत धरी की धरी रह गई है, क्योंकि महीनों बाद भी उन्हें उनकी मजदूरी नहीं मिली है।
इस गंभीर स्थिति के बावजूद, शासन और प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। साहू ने शासन से मांग की है कि मजदूरों की लंबित मजदूरी का एकमुश्त भुगतान जल्द से जल्द किया जाए, ताकि मजदूर अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें और त्योहारों का आनंद ले सकें।
इस मुद्दे को लेकर जिले में आक्रोश का माहौल बनता जा रहा है, क्योंकि जिन मजदूरों ने मनरेगा योजना के तहत मेहनत की है, उन्हें अपनी मेहनत की कमाई समय पर नहीं मिल रही है। साहू ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के शासनकाल में छत्तीसगढ़ राज्य और कबीरधाम जिले के मनरेगा मजदूरों की स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।