बोड़ला :- कबीरधाम जिले की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की बोड़ला इकाई ने प्रशासन के लचर रवैये के खिलाफ एक जोरदार प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय बोड़ला से एक आक्रोश रैली निकालते हुए अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) बोड़ला के कार्यालय का घेराव किया। अभाविप के कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को लेकर आक्रोश व्यक्त किया। अभाविप कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने कई बार ज्ञापन सौंपे हैं, लेकिन उनकी मांगों को अनदेखा कर अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
अभाविप के प्रदेश सहमंत्री तुषार चन्द्रवंशी ने कहा कि क्षेत्र में विद्यार्थियों की समस्याओं की अनदेखी चिंताजनक है। बोड़ला के स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय में कला संकाय के लिए शिक्षकों का अभाव है। प्रदेश में मुफ्त शिक्षा का वादा करने वाला प्रशासन इसे धरातल पर लागू करने में विफल साबित हो रहा है। कई छात्र बिना शिक्षक के पढ़ाई करने के लिए विवश हैं, जिससे उनकी शिक्षा पर गहरा असर पड़ रहा है। अभाविप ने मुख्यमंत्री के नाम एक 10 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा है जिसमें उनकी मांगों का समाधान करने की अपील की गई है।
भवन निर्माण के बाद भी भूमाफियाओं के कब्जे में महाविद्यालय की जमीन
अभाविप नगर मंत्री वेदांत चौहान ने कहा कि बोड़ला विकासखंड का स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय वर्ष 2011 से संचालित हो रहा है और इसके लिए 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। हालांकि, वर्तमान में इस भूमि पर भूमाफियाओं का कब्जा है, जिसका मुख्य कारण कॉलेज परिसर में बाउंड्री वॉल का न होना है। इससे शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं का विकास प्रभावित हो रहा है और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
प्रशासन की उदासीनता से टूट रहे छात्रों के सपने
ईश्वर वर्मा ने बताया कि स्वामी विवेकानंद शासकीय महाविद्यालय बोड़ला हजारों छात्रों के भविष्य का आधार है। फिर भी वर्तमान में महाविद्यालय की हालत बहुत खराब है। दूर-दराज के गांवों से छात्र बड़ी उम्मीदों के साथ यहां पढ़ाई करने आते हैं, लेकिन महाविद्यालय में न प्राचार्य हैं, न पुस्तकें और न ही पर्याप्त शिक्षण स्टाफ। ऐसी स्थिति में छात्रों की संख्या में कमी आ रही है, जो उच्च शिक्षा के प्रति उनके सपनों को धूमिल कर रही है।
अवांछनीय नियुक्तियाँ: छात्रावास अधीक्षकों का मनमाना रवैया
रुपेश भट्ट ने कहा कि ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों की आवश्यकता है। कई शिक्षक ऐसे हैं जो वर्षों से छात्रावास अधीक्षक पद पर बने हुए हैं और इनकी उपेक्षा के कारण स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। विभाग को तत्काल प्रभाव से ऐसे अधीक्षकों को वापस स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए नियुक्त करना चाहिए ताकि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।
निष्कर्ष: प्रशासनिक अनदेखी के चलते छात्रों की शिक्षा बाधित हो रही है। अभाविप का प्रदर्शन सरकार के प्रति छात्रों के बढ़ते असंतोष को दर्शाता है।